जीत है ज़िन्दगी
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(LIFE is to win … )
अभाव है तो या हुआ ? ज़ज़्बा उनको धता
बता देता है । जीत होती है उनकी, जिनमे हो कुछ कर गुजरने की चाह। और अपनी पहचान बनाने की ललक हो। कदम दर कदम आगे
बढ़ते जाते है और बन जाते है एक ऐसी हस्ती , जिसकी कहानी गर्व से सुनती सुनाती है दुनिया…
अभावो में जीते हुए, एक मुकाम हासिल कर
लेना , उन बाधाओ पर जीत है जो हर दिन एक नया संकट बन कर सामने आती है ।
अगर हम कुछ करना चाहते है , या कुछ पाना चाहते है, हमें यह नहीं सोचना चाहिए की हमारे सामने तो ये problems है या हमारे पास resources नहीं है। हमारे सामने ऐसे बहुत से example है . जब गरीब से गरीब परिवार से आये हस्तियो ने एक ऐसा मुकाम हासिल कर लिया जो उन्हें खुद भी expect नहीं किया था ऐसे ही कुछ example है जो आपको जीवन में प्रेरणा देंगे।
आज auto riksha driver के बेटे सिराज टीम(team ) india। में है। garage( गैराज)
में काम करने वाले भाई के सहारे अंसार शेख(ansar sheikh) देश के सब से कम उम्र के I.A.S OFFICER बने है।
जिस गांव में पक्के रास्ते भी नहीं है वहां से SPORTS TALENTS निकल कर सामने आ रहे है। और INTERNATIONAL LEVEL तक हमारे देश का नाम रोशन कर रहे है।
MOTHER(माँ) की मृत्यु के बाद पिता द्वारा बच्चो को एक एक रिश्तेदार को बाँट देने के बावजूद वर्तिका द्विवेदी DELHI में एक सफल ENTREPRENUER है। समाज में ऐसे EXAMPLE हजारो में है और रोज़ बढ़ रहे है।
जिन्होंने अभावो के बावजूद मनोबल से जीत हासिल की है और कर रहे है। जिनमे PASSION है, जीत का ज़ज़्बा है और कुछ हासिल करने की इच्छाशक्ति है।
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चाय बेच I.I.T पहुंचे
कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो…..
कवि दुष्यंत की ये पंक्तियां (JALANDHAR) जालंधर के 2 भाइयो पर
सटीक बैठती है। चाय के रेहड़ी लगाने वाले जतिंदर कुमार और मंजू देवी के पुत्र AMIT और SUMIT अपनी HARD WORK से I.I.T से ENGINEERING की पढ़ाई कर रहे है । अमित ALLAHABAD I.I.T से और सुमित DELHI I.I.T से ENGINEERING कर रहा है। इन्होंने 1 नहीं बल्कि 2 -2 बार I.I.T JEE ENTRANCE EXAM CLEAR किया और वो भी बिना किसी COACHING के , PROBLEM ये रही की 2013 का ENTRANCE EXAM CLEAR करने के बावजूद पैसो की कमी के कारण किसी COLLEGE में ADMISSION नहीं ले पाये। फिर इन्होंने साल भर पैसे जोड़े और फिर 2014 के ENTRANCE EXAM में बढ़िया RANK के साथ CLEAR हुए, लेकिन भाग्य की विडंबना देखिये, अब फिर अमित को पीलिया हो गयाऔर पिता जी का ACCIDENT हो गया , जिसकी वजह से सारा जोड़ा हुआ पैसा उनके इलाज में लग गया। पिता जी के ACCIDENT के समय सारा रेहड़ी का चाय का काम एक दोनों भाइयो ने मिल के संभाला और घर का खर्च उठाया,अंत में MEDIA के प्रयासों के वजह से कई हाथ HELP के लिए आगे आये , और आज AMIT I.I.T ALLAHABAD में SCHOLORSHIP से पढ़ाई कर रहे है, और SUMIT I.I.T DELHI में CHEMICAL ENGINERRING की पढ़ाई भी कर रहे है और WEIGHT LIFTING में भी अपना नाम कमा रहे है।
SUMIT की I.A.S OFFICER बन कर देश सेवा की इच्छा है , और AMIT I.T के FIELD में कुछ अच्छी JOB करके परिवार को SUPPORT करना चाहते है।Read:- ANOKHA INSAN UNIQUE PERSON
Focus on Target ( लक्ष्य पर निगाह )
ऑटो चालक मोहम्मद गौस के बेटे मोहम्मद सिराज ने 23 साल की उम्र में Team India में जगह बना ली ओट पिता को कह दिया की अब ऑटो नहीं चलाना है।
इसी तरह बनारस की 15 वर्षीय लड़की एकता के पिता ऑटो चालक है। ओट माँ सड़क पर इडली डोसा की दुकान चलती है। लेकिन उन्होंने अपनी बेटी के खेल में पदक जीतते देखने के लिये हर संभव प्रयास किये । उनकी एक ही इच्छा थी की उनकी बेटी ओलिंपिक में भारत के लिए पदक जीते। एकता कहती है कि पदक जीतने के लिए हर स्तर पर बहुत मेहनत करनी होती है physically and Mentally फिट रहना पड़ता है। kit और दूसरा सामान की जरुरत होती है। लेकिन कोई भी हमें नहीं पूछता अगर हमारे पास कोई पदक नहीं है। और पदक लाने के किये सुविधाओं की आवश्यकता होती है और खेल के लियर जिम्मेदार लोग कहता है पहले पदक लाओ। लेकिन वो हिम्मत नहीं हारी और उन्हर उम्मीद है कि वो एक दिन सर्वोच्च पदक जीत कर देश का नाम रोशन जरूर करेगी।
Mental win on poorness ( गरीबी को।मात दे कर बने Engineer )
कानपुर के संदीप गुप्ता को कभी केवल 5 रुपए की कॉपी खरीदने के लिए दस बार सोचना पड़ता था। लेकिन उन्होंने अपनी म्हणत पर लगन से DELHI I.I.T B.Tech Degree हासिल की और फिर एक कंपनी में 20 लाख के package की नौकरी तक का सफर तय किया । संदीप की माँ smt कृष्णा को अपने बच्चो की पढ़ाई कर लिए अपने गहने तक बेचने पड़े। संदीप के भाई vijay ने गन्ने का रस बेचा दूसरे भाई vikram ने घर घर जेक इलेक्ट्रीशियन का काम किया।
उनके पिता shri शिव नारायण को बीमारी के कारण अपनी मिल की job छोडनी पड़ी। और उन्होंने 50 वर्ष की उम्र में एक छोटी सी दुकान खोली लेकिन कोई तजुर्बा न होने के कारण घाटा पड़ा और दुकान को बंद करना पड़ा। संदीप ने पड़े के साथ साथ घर पे माँ और बहन नीलाम के साथ गत्तों की packing का काम किया। दुसरो से मांग कर books पड़ने वाले संदीप ने हिम्मत नहीं हारी। और उनके भाइयो विजय विक्रम और राजेंद्र ने भी एक सफलता की इबारत को लिखने में उनका सहयोग दिया । आज संदीप bangluru में metro engine बनाने वाली company में technical Manager है। सारे भाइयो का वक़्त ने कड़ा इम्तिहान लिया भाई vijay के selection I.I.T MUMBAI में हो गया और राजेंद्र का H.B.T KANPUR में हो गया लेकिन परिवार के financial condition ऐसी नहीं थी दोनों की पढ़ाई का खर्च उठाया जा सके finally बड़े भाई Rajendra ने sacrifice किया और घर को support करने का निर्णय लिया अब उन्होंने छोटे भाई vijay को Mumbai I.I.T से B.tech और M.tech करवाया ओर फिर California University(U.S.A ) से Chemical engineering से P.H.D करवाया।उनका परिवार आज हम सब के लिये एक example है। अगर सच्ची लगन और पक्का इरादा हो,और परिवार में एकता हो। तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है।