अंतिम विदाई, भारत रत्न Lata Mangeshkar अपनी अंतिम यात्रा पर चली गयी, देशभर में सबकी आंखें नम
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आज के दिन एक युग का अंत हो गया ,सुरो की मल्लिका हम सबकी आदरणीय लता मंगेशकर जिन्हे लोगों ने दिलों में मां सरस्वती का दर्जा के बराबर दर्जा हासिल था , हम सबको छोड़कर अपनी अंतिम यात्रा पर चली गयी
लता मंगेशकर का निधन कब हुआ?
आज दिन 06 -feb 2022 को 92 साल की उम्र में महान गायिका ने दुनिया को अलविदा कह दिया. तिरंगे में लिपटकर लता मंगेशकर अपने अंतिम सफर पर निकल गयी , मुंबई के शिवाजी पार्क में उनका अंतिम संस्कार किया गया है , अंतिम दर्शन के समय महान गायिका को देख कर हर किसी की आंखें नम हो गई थी ।
लता मंगेशकर का निधन कैसे हुआ?
‘भारत रत्न’ से सम्मानित गायिका ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 92 वर्ष की थीं। उन्होंने 13 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने कई भारतीय भाषाओं में अब तक 30 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं।
लता मगेशकर जी को कौन कौन से पुरस्कार मिल चुके है।
संगीत की दुनिया की शान लता मंगेशकर को तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका था. ये सम्मान उन्हें 1972, 1975 और 1990 में दिया गया था. इसके बाद 1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994 में उन्हें फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला
उन्हें हमारे देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
लता जी को क्या हुआ था ?
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लता जी को कोरोना हुआ था। जनवरी में वह कोरोना पॉजिटिव पायी गई थी और फिर उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहा उनकी हालत बिगड़ती गई , और यहाँ तक की उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। बीच में उनकी हालत में सुधार होने लगा अतः और आशा की नयी किरण दिखने लगी थी और उनका वेंटिलेटर सपोर्ट भी हट गया था। लेकिन 5 फरवरी को उनकी हालत फिर से बिगड़ गयी तो उन्हें फिर से वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था । लेकिन ये उनका आखरी दिन था और, 6 फरवरी को लता जी ने आखिरी सांस ली।
अंतिम दर्शन को हजारों लोगों की भीड़
उनकी अंतिम संस्कार के समय उनके अंतिम दर्शन को हजारों लोगों की भीड़ उमड़ आई. थी। उनकी कोयल जैसी सुरीली आवाज सुनने को मानो लोग बेताब थे , लेकिन लता मंंगेशकर जी तो तिरंगे में लिपटी अपने अंतिम सफर की और जा रही थी , और उनकी बहन आशा भोसले को तो मानो विश्वास ही नहीं हो रहा था। वो भी बिलकुल उनके पास बैठी रही थी।
उनके अंतिम दर्शन के समय , ऐसा लग राग था , की जैसे ये सब झूठ है , और आंखों देखी पर विश्वास करने को भी दिल नहीं कर रहा था दिल हर दिल से बस यही निकल रहा था। ये सब एक झूठ है और जैसे अभी लता मंगेशकर जी उठ जाएंगी और अपनी मीठी आवाज में एक गाना सुनाएंगी।
लेकिन सच तो सच है कि अब लता दीदी कभी नहीं आएँगी। लता जी को पुरे राजकीय सम्मान के साथ शिवाजी पार्क में अंतिम विदाई दी गयी थी।
बचपन से किया संघर्ष
लता जी के बाद इतने साल हो गए , लेकिन उनके जैसी ना कोई आयी , ना कोई आएगी , लेकिन उन्होंने भी शुरू में बहुत ठोकरे खायी , बचपन से ही बहुत मेहनत की , उन्होंने अपना पहले गाना सिर्फ 13 साल की उम्र में गया था , और सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियों को निभाया और अपनी व्यक्तिगत इच्छाओ का हमेशा गला घोटा
क्या आपको पता है ‘ऐ मेरे वतन के लोगो…’ गाने से लता ने कर दिया था इनकार
लता मंगेशकर का एक बहुत ही लोक प्रिये गाना है। ‘ऐ मेरे वतन के लोगो…’। लता जी तो इस गाने को गाना ही नहीं चाह रही थी क्योंकि उनके पास रिहर्सल तक के लिए समय नहीं था फिर कवि प्रदीप ने उनसे बहुत रिक्वेस्ट की और वो मान गयी , यह गाना उन्होंने और उनकी बहन आशा भोसले ने मिल कर गाना था। मगर आशा जो को कोई काम पड़ गया और उन्होंने दिल्ली जाने से एक दिन पहले इनकार कर दिया। फिर लता मंगेशकर ने अकेले ही इस गीत दिल्ली में 1963 में गणतंत्र दिवस समारोह को गया और यह अमर हो गया।
PM Narendera Modi ने भी Lata Mangeshkar दी को भावभीनी श्रद्धांजलि
लता दीदी को हमारा अंतिम सलाम. आप बहुत याद आयेंगी.
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