खुद को निश्चित दायरे से बाहर निकालें | Do Not Fit Yourself Into Fix Boundries | 5-reasons-you-feel-like-you-dont-fit-in
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जिंदगी में अगर सफल होना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने आपको हर दायरे से मुक्त करके उससे बाहर निकलेें। कड़े निर्णय लेने की आदत डालें। सीखने की ललक को बरकरार रखें और खुद का मूल्याकंन करते रहें। दायरे में बंधा हुआ इंसान उस गुलाम की तरह होता है जो केवल अपने मालिक की इच्छा और उसके इशारों पर चलता है। वह एक निर्धारित दिशा में ही देखता है। वह जीवन के उन विविध पक्षों से वंचित हो जाता है, जिनके बूते वह आगे बढ़ सकता है।
अगर आप इन 5 बातो का फॉलो करे तो , आप निश्चित ही सफलता के नए मुकाम हासिल करेंगे। तो आइये जाने क्या है वो 5 बाते
1.कड़े फैसले लेने की आदत डालें (5-reasons-you-feel-like-you-dont-fit-in)
इंसान के जीवन में बहुत सी ऐसी परिस्थितियां आती है जब वह अपने आपको दोराहे ही नहीं बल्कि कई बार चौराहे पर खड़ा पाता है। वह यह निर्णय नहीं कर पाता है कि उसे क्या करना चाहिए। ऐसी परिस्थिति में निर्णय लेना बेहद कठिन हो जाता है। लेकिन यही वह घड़ी होती है जब आपको कठोर निर्णय लेने होते हैं। उस समय निर्णय दिल से नहीं लेकर दिमाग से लेने चाहिए। इसके लिए मन को कड़ा रखना चाहिए। निर्णय ऐसे ले जो तात्कालिक फायदे के नहीं, बल्कि दूरगामी फायदे वाले हों। ऐसे फैसले हमेशा अच्छे परिणाम देते हैं। अक्सर कहा आजाता है ना तो अच्छा लता है , वही सही नहीं होता, जो लुभावना या आकर्षक डिसिशन लगता है , कई बार वो आप को बाद में पछताने पर मजबूर कर देता है। तो वो करो जो सही हो , न की वो जो मन को अच्छा लगे , चाहे अभी कुछ मुश्किल हो या परेशानिया आये , लेकिन सही निर्णय बाद में आपको बहुत फायदा देगा
2. सीखने की ललक को बरकरार रखें (5-reasons-you-feel-like-you-dont-fit-in)
बदलाव प्रकृति का का नियम है ,जिस तरह से कंप्यूटर सॉफ्टवेयर को भी अपडेट की जरुरत है , उसी तरह से समय के साथ कई नयी नयी चीज़े आती रहती है , जो आपको सीखी ही चाहिए, जब आप के अंदर कुछ वैल्यू होगी , तो ही लोग आपकी कदर करेंगे , अगर आप पुराने तरीको से चलते रहेंगे तो आप पिछड़ जाएंगे , हमेशा आपने आप को कुछ न कुछ नया सीखते ही रहना चाहिए , कभी रुकना नहीं चाहिए ,लोग इज्जत भी उसी की करते है जिसके अंदर नौलेज होती है और वही इंसान जिंदगी में सफल हो पाता है तो अपने अंदर सीखने की ललक को जिंदा रखता है। इसके अभाव में इंसान कूप मंडूक हो जाता है। या जिसे कहता है की तालाब का मेंढक, जिसे बहार की दुनिया का कुछ भी पता नहीं होता है ,और नया कुछ सिखने की ललक आपके अंदर नयी ऊर्जा भी भरती है। सीखने की ललक इंसान का हमेशा विकास करती है। नई नई चीजों के बारे में जिज्ञासा आपके अनुभव को विस्तार देती है।
3. परफॉर्मर की बनाएं इमेज (5-reasons-you-feel-like-you-dont-fit-in)
एक स्टडी के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में एवरेज एंप्लॉयीज और टॉप परफॉर्मर को दिए जाने वाले रिवार्ड्स के बीच का अंतर तेजी से बढ़ा है। यह अंतर और बढ़ सकता है, क्योंकि कंपनियां आउटपरफॉर्मर्स को रिवार्ड देंगी, जबकि अंडरपरफॉर्मर्स पर गाज गिरा सकती हैं। आपका सालाना सैलरी इंक्रिमेंट इस बात को साफ तौर पर बयान करता है कि आपकी कंपनी आपको कितना चाहती है। एक्सपर्ट का कहना है कि कंपनी अपने किसी एम्प्लॉयी में क्या वैल्यू देखती है, इंक्रिमेंट इसे सामने रखता है। हालांकि, सैलरी बढ़ोतरी की तुलना को नापसंद (ऐसे इंडीविजुअल और एंप्लॉयर के बीच गोपनीय मामला माना जाता है) किया जाता है। अगर आपको औसत वेतन बढ़ोतरी से कम हाइक मिलती है तो आप निश्चित रूप से कंपनी की गुड बुक में नहीं हैं। साथ ही, इस बात का भी जोखिम बढ़ जाता है कि अगर कंपनी अपने यहां छंटनी करती है तो आपको भी बाहर किया जा सकता है। चेतावनी, यहां एक आदेश भी है। जब वेतन बढ़ोतरी की तुलना करें तो कंपनी में अपने समान पद वाले व्यक्ति के साथ तर्कसंगत तुलना करें, क्योंकि ऑर्गनाइजेशन में वेतन बढ़ोतरी का पर्सेंटेज अलग-अलग हो सकता है। कंपनी में आप जितने सीनियर होंगे, वेतन बढ़ोतरी का पर्सेंटेज कम होगा। हालांकि, असल में आपकी वेतन बढ़ोतरी जूनियर एंप्लॉयीज से कहीं ज्यादा हो सकती है। इन सारी चीजों से निपटने का सबसे बेहतरीन तरीका यह है कि आप अपने बॉस से बात करें। अपने खुद के अंडरपरफॉर्मेंस के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को दोष देना ठीक नहीं है। अपनी गलती स्वीकार करें और अपने कामकाज, छवि को बेहतर बनाने के लिए ज्यादा मेहनत करें। साथ ही जिम्मेदारियां लेने के लिए आगे आएं, आपको अपने बॉस को यह भरोसा दिलाना होगा कि आप कंपनी के लिए अस्सेस्ट है ना की लबिलिटी
4. खुद का मूल्याकंन करते रहें (5-reasons-you-feel-like-you-dont-fit-in)
अगर हम अपने आप को ही सर्व गुण सम्प्पन्न मान के बैठे रहे , और ये देखे ही ना की क्या हमें आता है , और क्या नही आता है , क्या हमारी अच्छी बाते है , हमारे अंदर क्या बुराइया है , तो हम कुछ ठीक करने की कभी सोचेंगे भी नहीं , क्योकि जब हम अपने आप का मूल्याकंन करेगे , तो ही तो हमें पता चलेगा की कहा कमी है , और क्या सुधार करने की जरुरत है , सफलता के लिए जरूरी है कि हम खुद का निरंतर ईमानदारी से मूल्याकंन करते रहें। इससे हमें हमारी कमजोरियों का पता तो चलता ही है। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे हम उन्हें समय रहते ठीक कर पाते हैं जो कि हमारी सफलता के लिए बेहद जरूरी है।
5. सभी से से दोस्ताना रिश्ते (5-reasons-you-feel-like-you-dont-fit-in)
चाहे आप बिज़नेस करते हो या जॉब , आपने वर्कप्लेस पर इंटरपर्सनल स्किल्स बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह हकीकत है कि किसी भी बिज़नेस में या जॉब में आपकी सफलता 20 पर्सेंट तो आपके काम के हुनर पे निर्भर करती है , और 80 पर्सेंट आपके व्यवहार पर निर्भर करती है। जब आपके बिज़नेस में आप सबके साथ मीठा बोलेंगे , सबसे दोस्ताना रिश्ते रखेंगे , तो कोई भी आपसे सम्बन्ध तोडना नहीं चाहेगा।
आप याद कर के देखो किसी दूकानदार को जो बहुत मीठा बोलता है , आपकी पूरी इज्जत करता है , तो आप उससे ही सामान लेना पसंद करेंगे चाहे उसके लिए आपको थोड़ी ज्यादा दूर जाना पड़े, और चाहे तो वो दूकानदार दुसरो से १ या २ रुपए ज्यादा भी ले रहा हो , लेकिन आप कभी भी उस दुकान पर कभी जाना पसंद नहीं करेंगे जो १-२ रुपए काम तो लेता है , लेकिन बोलता बहुत कड़वा है
जॉब में भी , चाहे आपका काम बहुत अच्छा हो लेकिन अगर आपके रिश्ते सबके साथ ख़राब है, आप बुरा बोलते हो , तो सबसे पहले कंपनी आपसे ही चुटी पाना चाहेगी , लेकिन अगर कोई कर्मचारी ,बहुत अच्छा व्यवहार करता है , सबसे दोस्ताना रिश्ते रखता है , वो चाहे काम में उतना कुशल न भी , तब भी आप सबके चहेते बने रहेंगे
अपने साथी कर्मचारी और बॉस के साथ संबंध ठीक होने पर आपके परफॉर्मेंस में भी सुधार हो सकता है। समय के साथ आपको पता चलेगा कि वर्कप्लेस पर इन समस्याओं से कुछ हासिल नहीं होता। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि खराब परफॉर्म करने वाला कर्मचारी भी सबका प्यारा बनके रह सकता है।
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