heartbreaking-helpless-child-and-widowed-mother | हृदय विदारक-असहाय बालक एवं विधवा माँ

By | February 14, 2022

हृदय विदारक-असहाय बालक एवं विधवा माँ

heartbreaking-helpless-child-and-widowed-mother | हृदय विदारक-असहाय बालक एवं विधवा माँ changeyourlife.in

heartbreaking-helpless-child-and-widowed-mother | हृदय विदारक-असहाय बालक एवं विधवा माँ changeyourlife.in

एक गरीब बेबस बच्चे और उसकी विधवा माँ की हृदय विदारक कहानी,बेबस बच्चे की कहानी ,बेबस लड़के की कहानी ,moral stories in hindi,hindi kahaniya,emotional stories,

यह कहानी मेरे के समाज सेवी मित्र ने मुझे सुनाई है ,इस मन को छू लेने वाली हृदय विदारक कहानी जिसमे एक गरीब ,बेबस बच्चा अपनी माँ के लिए क्या कुछ नहीं कर गुजरता। तो मैं ये कहानी आपको उनकी की जुबानी सुना रहा हूँ , आईये जानते है क्या हुआ उनकी जुबानी

मैं एक घर के करीब से गुज़र रहा था कि अचानक से मुझे उस घर के अंदर से एक बच्चे की रोने की आवाज़ आई। उस बच्चे की आवाज़ में इतना दर्द था कि मैंने अंदर जा कर वह बच्चा क्यों रो रहा है, यह मालूम करने से मैं खुद को रोक ना सका।

अंदर जा कर मैने देखा कि एक माँ अपने दस साल के बेटे को आहिस्ता से मारती और बच्चे के साथ खुद भी रोने लगती। मैने आगे हो कर पूछा बहनजी आप इस छोटे से बच्चे को क्यों मार रही हो? जब कि आप खुद भी रोती हो।

उस ने जवाब दिया भाई साहब इस के पिताजी भगवान को प्यारे हो गए हैं और हम लोग बहुत ही गरीब हैं, उन के जाने के बाद मैं लोगों के घरों में काम करके घर और इस की पढ़ाई का खर्च बामुश्किल उठाती हूँ और यह कमबख्त स्कूल रोज़ाना देर से जाता है और रोज़ाना घर देर से आता है।
जाते हुए रास्ते मे कहीं खेल कूद में लग जाता है और पढ़ाई की तरफ ज़रा भी ध्यान नहीं देता है जिस की वजह से रोज़ाना अपनी स्कूल की वर्दी गन्दी कर लेता है। मैने बच्चे और उसकी माँ को जैसे तैसे थोड़ा समझाया और चल दिया।

heartbreaking-helpless-child-and-widowed-mother

लेकिन इस घटना के कुछ ही दिन बाद अचानक मुझे सुबह सुबह कुछ काम से मैं सब्जी मंडी जाना हुआ , तो अचानक मेरी नज़र उसी दस साल के बच्चे पर पड़ी जो रोज़ाना घर से मार खाता था। मैं क्या देखता हूँ कि वह बच्चा मंडी में घूम रहा है

और जो दुकानदार अपनी दुकानों के लिए सब्ज़ी खरीद कर अपनी बोरियों में डालते तो उन से कोई सब्ज़ी ज़मीन पर गिर जाती थी ,वह बच्चा उसे फौरन उठा कर अपनी झोली में डाल लेता, और इकठ्ठा कर रहा था , तो मेरे मन में कौतुहल हुआ , की देखे ये बच्चा कर क्या रहा है यहाँ मंडी में, ये बच्चा तो स्कूल ड्रेस में है।
और ये उसके स्कूल का टाइम भी है , उसे तो स्कूल में होने चाहिए था।

अब जब मेरे मन में उत्सुकता बाद गयी , तो मैंने सोचा की देखूँ कि ये बच्चा स्कूल न जाकर , यहाँ करता क्या है। तो , मैं उस बच्चे का चोरी चोरी पीछा करने लगा। जब उस की झोली सब्ज़ी से भर गई तो वह सड़क के किनारे बैठ कर उसे ऊंची ऊंची आवाज़ें लगा कर वह सब्जी बेचने लगा। मंडी में मिटटी और गंदगी तो होती ही है , तो उसके मुंह पर मिट्टी लग गयी थी और उसकी स्कूल ड्रेस भी गन्दी हो गई थी , उसकी आँखों में नमी थी , मुझे लगा , क्या बात है , कि ये बच्चा इतना मायूस हो रहा है , खैर मैं देखता रहा।

अब वो बच्चा जिस दुकान के आगे अपनी नन्ही सी दुकान लगा कर बैठा था , अचानक उसमे से एक आदमी बाहर आया , उसने आते ही एक जोरदार लात मार कर उस नन्ही दुकान को एक ही झटके में रोड पर बिखेर दिया और बाज़ुओं से पकड़ कर उस बच्चे को भी उठा कर जोर से धक्का दे दिया।

उस बच्चे की आँखों में आंसू आ गए , अब वह बच्चा आंखों में आंसू लिए चुप चाप दोबारा अपनी सब्ज़ी को इकठ्ठा करने लगा और थोड़ी देर बाद अपनी नन्ही सी दुकान एक दूसरे दुकान के सामने डरते डरते लगा ली। भला हो उस शख्स का जिस की दुकान के सामने इस बार उसने अपनी नन्ही दुकान लगाई उस ने बच्चे को कुछ नहीं कहा।

heartbreaking-helpless-child-and-widowed-mother

अब क्या हुआ , कि थोड़ी सी सब्ज़ी थी ऊपर से बाकी दुकानों से कम कीमत। जल्द ही बिक्री हो गयी, और वह बच्चा उठा और मंडी से बाहर चल पड़ा , अब मेरी उत्सुकता बहुत बढ़ चुकी थी , तो मैं उस बच्चे के पीछे ही हो लिया , वो बाहर आते ही बाज़ार में एक कपड़े वाली दुकान में दाखिल हुआ और दुकानदार को सारे पैसे देकर दुकान में पड़ा अपना स्कूल बैग उठाया और बिना कुछ कहे वापस स्कूल की और चल पड़ा। और मैं भी उस के पीछे पीछे चल रहा था।

बच्चे ने रास्ते में एक नल से अपना मुंह धो कर स्कूल चल दिया। मै भी उस के पीछे स्कूल चला गया। जब वह बच्चा स्कूल गया तो एक घंटा लेट हो चुका था। जिस पर उस के टीचर ने डंडे से उसे खूब मारा। मैने जल्दी से जा कर टीचर को मना किया कि मासूम बच्चा है इसे मत मारो। टीचर कहने लगे कि यह रोज़ाना एक डेढ़ घण्टे लेट से ही आता है हम तो इसके घर पर भी बहुत बार कह चुके है और मै रोज़ाना इसे सज़ा देता हूँ कि डर से स्कूल वक़्त पर आए

वो बच्चा मार खाने के बाद चुप चाप क्लास में बैठ कर पढ़ने लगा। मैने उसके उन टीचर का मोबाइल नम्बर ले लिया और मैं अपने घर आ गया घर पहुंच कर मुझे याद आया की मैं खुद जिस काम से मंडी गया था , वो काम तो भूल ही गया , लेकिन कोई बात नहीं

दोपहर को मैंने सोचा क्यों न उसकी माँ से बात करू , तो मैं उसका घर की और चल पड़ा, लेकिन बाहर से ही क्या देखा की वो बच्चा स्कूल से वापिस आ चुका था और उसकी फिर पिटाई और रही है , मासूम बच्चे ने माँ से एक बार फिर मार खाई। , अब ये देखकर मैं घर वापिस आ गया , मैं बहुत उदास था। मुझे नहीं आ रहा था की बात क्या है,और मैं क्या कर सकता हूँ। सारी रात मेरा सर चकराता रहा।

अब मैंने क्या किया , सुबह उठकर बच्चे के टीचर को कॉल की कृपया करके कि मंडी टाइम हर हालत में मंडी पहुंचें। और वो मान गए।
अब मैं उस बच्चे के घर की और चल दिया , जैसे ही वो बच्चा घर से मंडी अपनी नन्ही दुकान का इंतेज़ाम करने निकला। मैने उसके घर जाकर उसकी माँ को कहा कि बहनजी आप मेरे साथ चलो मै आपको बताता हूँ, आप का बेटा स्कूल क्यों देर से जाता है।

वह फौरन मेरे साथ मुंह में यह कहते हुए चल पड़ीं कि आज इस लड़के की मेरे हाथों खैर नही। छोडूंगी नहीं उसे आज। मंडी में लड़के का टीचर भी आ चुका था। मैं तीनो को अभी चुप चाप दूर से देखने को कहा , और हम उस लड़के को छुप कर देखने लगे। आज भी उस बच्चे ने काफी लोगों से डांट फटकार और धक्के खाये , लेकिन आँख में आंसू लिए , वो अपने काम में लगा रहा , और आखिरकार वह लड़का अपनी सब्ज़ी बेच कर बाजार में कपड़े वाली दुकान पर चल दिया, जहाँ पर वो पता नहीं क्यों पैसे दे रहा था।

अचानक मेरी नज़र उसकी माँ पर पड़ी तो क्या देखता हूँ कि वह बहुत ही दर्द भरी सिसकियां लेकर लगातार रोये जा रही थी, और मैने फौरन उस के टीचर की तरफ देखा तो उसकी आँखों में भी आंसू बह रहे थे। उन दोनो के रोने में मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें अपने किसी पश्चाताप का अहसास हो रहा हो , कि उन्होंने उस मासूम पर बहुत ज़ुल्म किया है और आज उन को अपनी गलती का एहसास हो रहा है।

अब उसकी माँ से देखा न गया और वह रोते रोते घर चली गयी और टीचर भी आँखों में नमी लिए लगभग रोटा हुआ सा स्कूल चला गया। मैं देखा , बच्चे ने दुकानदार को पैसे दिए और आज उसको दुकानदार ने एक लेडी सूट देते हुए कहा कि बेटा आज सूट के सारे पैसे पूरे हो गए हैं। अपना सूट ले लो, बच्चे ने उस सूट को पकड़ कर स्कूल बैग में रखा और स्कूल चला गया। मैं उसके पीछे ही था।

heartbreaking-helpless-child-and-widowed-mother

अब जब वो बच्चा स्कूल पहुंचा , तो क्या देखा कि आज भी वह एक घंटा देर से था, वह सीधा टीचर के पास गया और बैग डेस्क पर रख कर मार खाने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ा दिए कि टीचर डंडे से उसे मार ले। टीचर कुर्सी से उठा और फौरन बच्चे को गले लगा कर इस क़दर ज़ोर से रोया कि उसे देखे कर मैं भी अपने आंसुओं पर क़ाबू ना रख सका।

मैने अपने आप को संभाला और आगे बढ़कर टीचर को चुप कराया और बच्चे से पूछा कि यह जो बैग में सूट है वह किस के लिए है। बच्चे ने रोते हुए जवाब दिया कि मेरी माँ अमीर लोगों के घरों में मजदूरी करने जाती है और उसके कपड़े फटे हुए होते हैं कोई जिस्म को पूरी तरह से ढांपने वाला सूट नहीं और और मेरी माँ के पास पैसे नही हैं , की वो अपने लिए एक कपडा भी खरीद ले , इस लिये अपने माँ के लिए यह सूट खरीदा है।

तो यह सूट अब घर ले जाकर माँ को आज दोगे? मैने बच्चे से सवाल पूछा। जवाब ने मेरे और उस बच्चे के टीचर के पैरों के नीचे से ज़मीन ही निकाल दी। बच्चे ने जवाब दिया

नहीं अंकल छुट्टी के बाद मैं इसे दर्जी को सिलाई के लिए दे दूँगा। रोज़ाना स्कूल से जाने के बाद काम करके थोड़े थोड़े पैसे सिलाई के लिए दर्जी के पास जमा किये हैं।

टीचर और मैं सोच कर रोते जा रहे थे कि आखिर कब तक हमारे समाज में गरीबों और विधवाओं के साथ ऐसा होता रहेगा उन के बच्चे त्योहार की खुशियों में शामिल होने के लिए तरसते रहेंगे आखिर कब तक।

आप जरा सोचो , क्या हमारा सबका ये दायित्व नहीं है, कि हमें भगवान ने सब कुछ दिया है , की अपने आस पास काम करने वाले इन गरीबो की और भी देख ले , घर में काम करने वाली , मजबूर औरतो और बच्चो को केवल उनके तय पैसा तो हम समय पर दे देते है , लेकिन क्या हम कभी इनको त्यौहार पर कोई कपडे गिफ्ट नहीं कर सकते , अगर नए ना सही पुराने ही , जो अच्छी हालत में हो , दे सकते है , कभी कभी किसी बहाने से कुछ एक्स्ट्रा पैसे , कभी इनके बच्चो के लिए कुछ छोटे सा गिफ्ट , या कुछ खाने को।

हम अपने घर में भी तो इतना कुछ खाने को लाते है , इतना नए नए कपडे हम बेकार अलमारी में सजाये रखते है , बाहर जाकर भी इतनी फिजूल-खर्ची करते है।

मैं ये नहीं कह रहा हूँ कि, सब कुछ बंद कर दो , लेकिन अगर हम , कुछ इनके लिए भी कर देंगे , तो हमें कोई कमी नहीं पड़ेगी , ना ही हमें महसूस होगा , लेकिन इनके लिए , ये छोटी छोटी सी खुशियां , ये छोटे छोटे , गिफ्ट बहुत बड़ी खुशियां होती है , इनके किसी बच्चे के लिए अगर हम 5 या 10 रुपए की toffee या बिस्कुट या चिप्स भेज दे , तो वो भी इनके लिए बहुत बड़ी चीज होती है , हमारे लिए 10-20  rupees कुछ मायने नहीं रखते है। , लेकिन क्या पता इन्होने इसको लेने के लिए भी सपने देखे हो , किसी के सपने साकार कर सको तो इससे बड़ी क्या बात है ,

क्या ऊपर वाले की खुशियों में इन जैसे गरीब विधवाओंं का कोई हक नहीं ? क्या हम अपनी खुशियों के मौके पर अपनी ख्वाहिशों में से थोड़े पैसे निकाल कर दान करके, अपने समाज मे मौजूद इन गरीब और बेसहारों की मदद नहीं कर सकते।

मेरी आप से लास्ट अपील , चाहे कुछ भी कर सको , इन गरीबो के लिए , जो कर सको करो , क्या पता भगवान् ने आपको इन्ही की मदद के लिए आपको समर्थ बनाया हो , और वो आपको और भी 10 गुना , 1000 गुना बढ़ा कर दे सकता है ,

यदि आपको CHANGE YOUR LIFE की MOTIVATIONAL कहानियां पसंद आती हैं या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हैं तो हमें नीचे  comment करे , thechangeyourlife@gmail.com पर लिखें या Facebook, Twitter पर संपर्क करें।

 

यह भी पढ़े :-

sanskar-real-education | 10 संस्कार जो बच्चे को सीखने जरुरी है।

 

NEVER REGRET : 5-things-you-should-never-do | 5 चीजें जो आपको कभी नहीं करनी चाहिए  ?

 

ढाबा चलानेवाला12वीं पास लड़का, बन गया रिजॉर्ट का मालिक | 12th pass boy running Dhaba, became the owner of the resort

 

चाय पी के cup खा लो

 

सपनों का मतलब | सपनों का अर्थ | sapno ka matlab | sapno ka matlab hindi

 

YouTube चैनल शुरू करते ही होगी अंधाधुंध कमाई, जानें कमाल का तरीका

 

बेटे के चॉकलेट खाने की ज़िद ने लॉकडाउन में शुरू करवा दिया टीचर मम्मी का साइड बिज़नेस

 

medium.com

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *