असली ख़ुशी | asli-khushi-do-dosto-ki-kahani

By | November 6, 2021

असली ख़ुशी (Asli-khushi-do-dosto-ki-kahani)

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पंकज बड़ा असमंजस में था, समझ में ही नहीं आ रहा था कि हंसे या रोए। सामने मार्कशीट पड़ी हुई थी, जिसमें हर विषयों में उसने टॉप किया था पर पता नहीं क्यों उसे वह वह खुशी नहीं मिल पा रही थी जो अच्छे अंक मिलने पर होनी चाहिए ।

आखिर ऐसा क्या हुआ था पंकज के साथ।।

पंकज और मनोज दोनों अच्छे मित्र थे। और दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे। पर दोनों के स्वभाव में बहुत अंतर था। जहां मनोज शांत स्वभाव का था, वहीं पंकज को हर समय कोई ना कोई शरारत सूझते रहती थी। पढ़ाई में उसका मन ही नहीं लगता था। वहीँ मनोज पढ़ाई में अव्वल था। शिक्षक के हर सवालों का जवाब वह फट्ट से दे देता था। पंकज को इसी चीज की तकलीफ थी। खुद पढ़ाई में ध्यान ना लगा कर मनोज के हर क्रियाकलापों की कॉपी करना ही उसका काम था। कैसे उसे पीछे धकेले और नीचा दिखाए, बस इसी चक्कर में वह हमेशा लगा रहता था। इन सबके बीच में इसका सबसे बुरा असर उसकी खुद की पढ़ाई पर पड़ रहा था।

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इसी तरह एक बार लंच टाइम में जब मनोज थोड़ी देर के लिए कक्षा से बाहर गया तो पंकज ने उसके स्कूल बैग से विज्ञान की कॉपी चुरा ली। ताकि जब शिक्षक उससे कुछ पूछे तो वह जवाब देने की स्थिति में ना हो। हुआ भी वही शिक्षक की खूब डांट पड़ी मनोज को।  तो पंकज मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।

हर समय पंकज मौके की ताक में रहता कि कैसे मनोज को परेशान करें। एक तरह से वह मनोज की वजह से हीन भावना का शिकार भी होते जा रहा था। उसे लगता था कि वह कभी पढ़ाई नहीं कर पाएगा। कभी मनोज का पेन गायब कर देता तो कभी लंच बॉक्स में खाना ही नहीं रहता। मनोज को परेशान देखकर उसे बड़ी खुशी होती थी। धीरे-धीरे उसकी शरारत और हीन भावना दोनों ही बढ़ने लगे। क्लास के दूसरे बदमाश लड़कों से भी उसकी दोस्ती हो गई थी जो उसे हर समय उकसाते रहते थे ।
पंकज की एक दोस्त थी कृतिका जिसकी हर बात वह मानता था। पंकज की हरकतों को देखकर कृतिका को बड़ी तकलीफ हो रही थी, उसने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, पर वह हीन भावना का ऐसा शिकार हुआ था कि निकल ही नहीं पा रहा था।
देखते-देखते परीक्षाएं नजदीक आ गयीं। निलेश की पूरी कोशिश थी कि इस बार मनोज को पहले रैंक पर नहीं आने देगा। अचानक कुछ उड़ती हुई खबर मिली उसे। उसके कुछ उद्दंड दोस्तों ने एग्जाम के पेपर चुरा लिए और पंकज को दे दिया। पंकज की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। अब तो इस बार वह अव्वल आकर ही रहेगा। परीक्षाएं खत्म हो गई और कुछ दिन के बाद रिजल्ट भी आ गया। अपनी कक्षा में वह सबसे अव्वल था। उसने मनोज की तरफ विजयी मुस्कान से देखा। आज उसने मनोज को पीछे छोड़ दिया था। मनोज को अपने कम नंबरों से थोड़ी निराशा जरूर थी पर वह हारा नहीं था। उसने पंकज को उसके सफलता पर बहुत बधाई दी और उसे गले लगा लिया।

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पंकज असमंजस में पड़ गया, क्या करे क्या ना करे, अपने स्वभाव पर रोए या मनोज की अच्छाई पर खुश हो। जिस लड़के को उसने परेशानी के सिवा कुछ ना दिया था, आज वही उसे उसकी सफलता पर बधाई दे रहा था। पल भर में ही उसकी जीत की खुशी काफूर हो गई और आईने की तरह उसके कारनामे सामने दिखने लगे।
बेईमानी से लायी गयी रैंक पर उसे अब बड़ी शर्मिंदा हो रही थी, सामने रखे अच्छे अंक भी उसे बार-बार उसकी गलतियों का एहसास करा रहे थे। उसकी आंखों के कोरों से शर्मिंदगी के आंसू बहने लगे और अपनी गलतियों को सुधारने का मौका सूझने लगा। उसने मन में ठान लिया कि वह मनोज से अपनी पिछली गलतियों के लिए माफी मांगेगा और शिक्षक के सामने अपनी चोरी भी कुबूल करेगा, चाहे उसे स्कूल से निकलना ही क्यों ना पड़े।

तभी सर ने आवाज दी, “पंकज यहाँ आओ, तुम्हारी क्लास में फर्स्ट रैंक आई है, मैं तुमसे बहुत खुश हूँ, बताओ तुमने ये सफलता कैसे हासिल की?”
पंकज बड़ा असमंजस में था, समझ में ही नहीं आ रहा था कि हंसे या रोए। सामपेपर ने मार्कशीट पड़ी हुई थी, जिसमें हर विषयों में उसे सबसे अधिक नंबर मिले थे पर उसे वह खुशी नहीं मिल पा रही थी जो अच्छे अंक मिलने पर होती है।
पंकज दबे क़दमों से ब्लैक बोर्ड के सामने पहुंचा-
“सर, फर्स्ट रैंक मेरी नहीं मनोज की आई है, मैं आप सभी से माफ़ी मांगता हूँ… मैंने चीटिंग की है, मनोज को नीचा दिखाने के लिए मैंने पेपर आउट करा दिया था।
सर, आप इसकी जो चाहे वो सजा मुझे दे सकते हैं। मनोज , I am really sorry! मैंने हमेशा तुम्हे परेशान करता रहा पर आज तुमने ही मुझे गले लगा कर बधायी दी।”

और ये कहते-कहते पंकज की आँखों में आँसू आ गए।
क्लास के सबसे शरारती बच्चे को इस तरह टूटता देख सभी भावुक हो गए, कृतिका और मनोज फ़ौरन उसके पास पहुंचे और उसका हाथ थाम लिया।
स्कूल मैनेजमेंट ने भी पंकज का पश्चाताप बेकार नहीं जाने दिया और पुनः परीक्षा ले उसे पास कर दिया।
अब पंकज समझ चुका था कि बेईमानी से पायी गयी सफलता कभी ख़ुशी नहीं दे सकती, असली ख़ुशी ईमानदारी और सच्चाई के रास्ते पर चल कर ही पायी जा सकती है।

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