Importance-of-bael-tree | बेल वृक्ष का महत्व
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बेल वृक्ष का महत्व हमारे शास्त्रों में बेल का वृक्ष बहुत अधिक पूजनीय माना जाता है स्कंद पुराण के अनुसार बेल के वृक्ष की उत्पत्ति माता पार्वती के पसीने से हुई है। जैसे तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी का वास होता है उसी तरह बिल्कुल लक्ष्मी माता पार्वती का वास माना गया है। यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है
भगवान शिव के बिल्व वृक्ष की 11 आश्चर्यजनक बाते (importance-of-bael-tree )
1. जहां पर भी बिल्व वृक्ष हो , उसके आसपास सांप नहीं आते ।
2. अगर कोई शव यात्रा जा रही हो , और अगर उस शव यात्रा को बिल्व वृक्ष की छाया से होकर निकला जाए तो उसका मोक्ष निश्चित ही हो जाता है ।
३.बिल्व वृक्ष में वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा होती है ।
4.बिल्व की पत्तिया कई तरह की होती है ,उसमे से चार पांच छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्रक पाने वाला
परम भाग्यशाली होता है , और उस पट्टी को शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है ।
5. बेल वृक्ष को काटना घोर पाप है , इसको काटने से वंश का नाश होता है। और बेलवृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।
6. यदि बेल वृक्ष के दर्शन सुबह शाम किये जाए तो इतने मात्र से समस्त पापो का नाश होता है।
7. बेल वृक्ष को जल देने से या सींचने से पितर तृप्त होते है।
8. यदि बेल वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े में लगाया जाए , तो ऐसा करने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
9. प्राचीन ग्रंथो में ऐसी भी मान्यता है कि, बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे ।
10. प्राचीन ग्रंथो में ऐसी भी मान्यता है कि,किसी ने जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी चाहे भूल से भी शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाता है ।
11. प्राचीन ग्रंथो में कहा गया है कि ,बिल्व वृक्ष महादेव को बहुत प्रिये है ,इसलिए बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है।
हमें महादेव कि कृपा पात्र बनने के लिए हमें बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाना या पूजना चाहिए । और कभी भी अनजाने से भी बिल्व पत्र के लिए पेड़ को क्षति न पहुचाएं
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शिवजी की पूजा में ध्यान रखने योग्य बात (importance-of-bael-tree )
शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को कौन सी चीज़ चढाने से मिलता है क्या फल
किसी भी देवी-देवता का पूजन करते वक़्त उनको अनेक चीज़ें अर्पित की जाती है। प्रायः भगवान को अर्पित की जाने वाली हर चीज़ का फल अलग होता है। शिव पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है की भगवान शिव को अर्पित करने वाली अलग-अलग चीज़ों का अलग-अलग फल मिलता है , इसलिए हमें ये पता होना चाहिए , की हमें भगवान् शिव की आराधना कैसे करनी है , और उन्हें कब क्या अर्पण करना है ।
जानिए शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को कौन सा अनाज चढ़ाने से क्या फल मिलता है
1. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
2. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
3. जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
4. गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।
यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में वितरीत कर देना चाहिए।
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जानिए शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को कौन सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से उसका क्या फल मिलता है
1. ज्वर (बुखार) होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
2. नपुंसक व्यक्ति अगर शुद्ध घी से भगवान शिव का अभिषेक करे, ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान संभव है।
3. तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
4. सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है।
5. शिवलिंग पर ईख (गन्ना) का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
6. शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
7. मधु (शहद) से भगवान शिव का अभिषेक करने से राजयक्ष्मा (टीबी) रोग में आराम मिलता है।
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जानिए शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को कौन सा फूल चढ़ाने से उसका क्या फल मिलता है
1. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।
3. अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
4. शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
5. बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।
6. जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
7. कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
8. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
9. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशनकरता है।
10. लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है।
11. दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है ।
( importance-of-bael-tree )
FAQ:
Q: बेलपत्र का पेड़ घर में लगाने से क्या होता है?
ANS: बेलपत्र का पौधा घर में लगाने से ना केवल सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है बल्कि घर में मां लक्ष्मी का भी आगमन होता है। शिव पुराण के अनुसार जिस स्थान पर बेलपत्र का पौधा लगाया जाता है वह काशी तीर्थ के समान पवित्र और पूजनीय स्थल हो जाता है। इस पौधे को घर में लगाने से घर के सदस्यों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
Q: बेलपत्र का पेड़ कौन से दिन लगाना चाहिए?
ANS: स्कंद पुराण के अनुसार, रविवार और द्वादशी के दिन बेलपत्र के पेड़ का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसका पेड़ लगाने से घर की दरिद्रता दूर होती है और निरंतर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है
Q: बेल का पेड़ काटने से क्या होता है?
ANS: बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है। – सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है। – बेल वृक्ष को सींचने से पितृ तृप्त होते हैं। – बेल वृक्ष और सफेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
Q: बेलपत्र के पेड़ की पूजा कैसे की जाती है?
ANS: शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने के बाद जल चढ़ाएं. इससे भगवान शिव को शीतलता मिलेगी और उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा. हमेशा तीन पत्तियों वाला बेलपत्र ही चढ़ाना चाहिए
Q: बेलपत्र के पेड़ के नीचे दिया जलाने से क्या होता है?
ANS: दिवाली की रात को बेलपत्र के पेड़ के नीचे दिया जलाये . बेलपत्र शिव जी को अत्यंत प्रिय है इसलिए यहाँ दीपक जलाने से सभी परेशानिया दूर हो जाती है .
Q: बेल के पेड़ पर जल चढ़ाने से क्या होता है?
ANS: इसके अलावा बिल्वपत्र के पेड़ को नियमित रूप से जल चढ़ाने पर पितृों को तृप्ति मिलती है, और पितृदोष से मुक्ति मिलती है। 6 वातावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए बिल्वपत्र के वृक्ष का महत्व है। यह अपने आसपास के वातावरण का शुद्ध और पवित्र बनाए रखता है
Q: बेल पत्र का पौधा कैसे लगाये?
ANS: खाद एवं उर्वरकों को पूरी मात्रा जून-जुलाई में डालनी चाहिए। नये पौधों को स्थापित करने के लिए एक दो वर्ष सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। स्थापित पौधे बिना सिंचाई के भी अच्छी तरह से रह सकते है। गर्मियों में बेल का पौधा अपनी पत्तियाँ गिराकर सुषुप्ता अवस्था में चला जाता है और इस तरह यह सूखे को सहन कर लेता है।
Q: चार पत्ती वाला बेलपत्र का महत्व क्या है?
ANS: इसमेंं खास बात यह रही कि इसमे एक बिल्व पत्र 9 पत्ते वाला था। … भट्ट ने बताया धर्म शास्त्रों में 5 पत्तों के बेलपत्र का मतलब पांच प्रमुख देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश और मां भगवती से होता है। 4 पत्तों से चार वेदों का होता है। ऐसा ही 9 पत्तों का महत्व नव दुर्गा से है।
Q: बेल के पेड़ का क्या महत्व है?
ANS: बेल वृक्ष का महत्व हमारे शास्त्रों में बेल का वृक्ष बहुत अधिक पूजनीय माना जाता है स्कंद पुराण के अनुसार बेल के वृक्ष की उत्पत्ति माता पार्वती के पसीने से हुई है। जैसे तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी का वास होता है उसी तरह बिल्कुल लक्ष्मी माता पार्वती का वास माना गया है। यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है।
Q: बेलपत्र खाने से क्या फायदा होता है?
ANS: डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कोलेस्ट्रॉल और दिल से संबंधित बीमारियों को सही करने में बेल पत्र का सेवन बहुत फायदेमंद साबित होता है. बेल का फल पेट साफ करने के लिए जबर्दस्त फॉर्मूला है. इसमें लैक्सेटिव प्रोपर्टीज होती हैं जो डाइजेस्टिव सिस्टम को दुरुस्त रखती हैं. बेलपत्र में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं.
Q: खाली पेट बेलपत्र खाने से क्या फायदा होता है?
ANS: हृदय रोगियों के लिए भी बेलपत्र का प्रयोग बेहद फायदेमंद है। … श्वास रोगियों के लिए भी यह अमृत के समान है। इन पत्तियों का रस पीने से श्वास रोग में काफी लाभ होता है। 3 शरीर में गर्मी बढ़ने पर या मुंह में गर्मी के कारण यदि छाले हो जाएं, तो बेल की पत्तियों को मुंह में रखकर चबाने से लाभ मिलता है और छाले समाप्त हो जाते हैं।
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